आर्युवेदिक चिकित्सकों को सर्जरी करने की मान्यता के होंगे दुष्पपरिणामरू डा. एमएल गर्ग

 मुजफ्फरनगर। सरकार द्वारा आर्युवेदिक चिकित्सकों को जो सर्जरी करने की मान्यता दी गयी है भविष्य में उसके दुष्पपरिणाम होंगे। मुजफ्फरनगर मैडिकल कालेज में आयोजित मिक्सोपैथी सेमिनार में मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए आईएमए के अध्यक्ष डा. एमएल गर्ग ने उक्त बात कहीं। डा. एमएल गर्ग ने कहा कि 20 नवम्बर 2020 को सरकार द्वारा आर्युवेदिक चिकित्सकों को सर्जरी करने की सुविधा दी गयी है लेकिन यह पूरी तरह असम्भव है। सर्जरी करने में मरीज को बेहोश करने की आवश्यकता पडती है तथा उसे कितने समय तक बेहोश किया जाना है इसकी पूरी जानकारी एलोपैथिक चिकित्सक को ही होती है। आर्युर्वेद में किसी भी तरह का एनीसिफिया नहीं होता है इसलिए देश में मिक्सो पैथी बिल्कुल भी कारगार साबित नहीं होगी। आईएमए के जनरल सैकेट्री डा. अनुज माहेश्वरी ने कहा कि ऐलौपैथी चिकित्सकों द्वारा उच्चतम स्तर पर सर्जरी की सुविधा दी जाती है जबकि आर्युवेद में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। अब सरकार द्वारा जो गजट जारी किया गया है उसमे आर्युवेदिक चिकित्सकों को भी 58 सर्जरी की अनुमति दी गयी है। उन्होंने कहा कि दूरस्थ (ग्रामीण) क्षेत्रों में जहां आर्युवेदिक चिकित्सक मौजूद रहते है वो किस तरह सर्जरी को बढ़ावा दे पायेंगे। एमएमसी स्कूल के प्राचार्य डा. ब्रिगेडिया जीएस मनचंदा ने भी इस मिक्सोपैथी के बहिष्कार की घोषणा की। उन्होंने कहा कि आईएमए द्वारा इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी है। ऐलोपैथी चिकित्सक अपनी लड़ाई गम्भीरता से लड़ेंगे। इस दौरान डा. सागर आनंद, डा. महक वाजपेयी, प्रदीप राठौर, प्राची कुमार, शुभम खटाना, विशाल सिंह, इशिका गहलौत, दीक्षा श्रीवास्तव, गुरदीप लांबा, शिवम खुराना, अमन बंसल, अनंत शर्मा आदि चिकित्सक एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।